सौतेला बाप ( भाग - 8 )
अध्याय - 8
सबके खुसुर - फुसुर के बीच मधुआ का सौतेला बाप मधुआ को गोद में उठाया और फुलवा के पास आकर बोला " चलो कमरे में चलते है। मैं मधुआ को लाने आया था ताकि इसे अपनी माई से दूर न होना पड़े!"
फुलवा मास्टर बाबू की बात सुन रोने लगती है , वही गांव के आदमी और औरत मास्टर बाबू के फैसले से खुश हो जाते है कि नया दुलहा सौतेला नही मानता मधुआ को।
मास्टर बाबू सभी को सोने को बोल कोठर में फुलवा को लिए चले जाते है। वो मधुआ को खटिए पर सुला देते है और फुलवा को खटिए पर सोने को कहते है। फुलवा घबरा कर बोली " ऊपर बिस्तीरा पर?"
" हां.... मधुआ तुम्हारे बिना कैसे सोएगा?"
" पर आप कहा सोएंगे?"
" यहां जमीन पर बिस्तर बिछा कर !"
" अरे नाही नाही ! आप भगवान है हमरे। मधुआ के पहिले बापू तो खटोले पर ही सोवत थे अऊर हम दोनो नीचे.... खटोले पर हम बस शादी के कुछ महीनो तक सोए फिर मधुआ पेट में आ गया अऊर नीचे सोने लगे।"
मास्टर बाबू नीचे बिस्तर बिछा कर बैठे और फुलवा को अपने पास बैठने को बोले। फुलवा उनके पास बैठ कर मुड़ कर मधुआ की ओर देख बोली " मधुआ ईहा ही है!"
" मधुआ यहां है तो?"
" आप...आप हमका छुएंगे... ऊ देख लिया तो!"
मास्टर बाबू फुलवा के कंधे पर हाथ रख बोले " अभी तक जिस तरीके का पति - पत्नी का रिश्ता देखी हो हम नही मानते उस रिश्ते को। जानते है तुम पति को भगवान मान कर उसके हर बात का मान रखने वाली औरत हो पर एक बात सच बताओ... मधुआ को लाने में सहमति थी तुम्हारी?"
" का बोल रहे बच्चे भगवान का स्वरूप होवत है जी!"
" हम बच्चा नहीं बच्चे को लाने के रात की बात कर रहे। कलुआ तुम्हारे पास तुम्हारी मर्जी से आया था?"
" मर्जी...?"
" वो पूछा था तुमसे... कि तुम भी तैयार हो?"
फुलवा सिर नीचे कर ना में सिर हिला देती है।और रोने लगती है।
" एक रात नशे में आया और....!"
मास्टर बाबू फुलवा को सिने से लगा लेते है। और उसके सिर हो सहलाते हुए बोल पड़े " तुम अब कलुआ नही मास्टर की पत्नी हो। और मास्टर अपनी पत्नी के हर बात का मान रखेगा। हमारे लिए मधुआ ही काफी है...हम तीनो हमेशा साथ रहेंगे। और कुछ दिनों में तुम दोनो को शहर घुमाने ले जाऊंगा!"
फुलवा मास्टर बाबू को कस कर पकड़ लेती है।
" मगर हम आपको खा गए तो?"
" काहे हम इतने स्वादिष्ट है?"
मास्टर बाबू हंसने लगते है , फुलवा भी हंस पड़ती है और प्यार से मास्टर बाबू को लालटेन की रौशनी में देखने लगती है। मास्टर बाबू फुलवा के गालों पर हाथ रख बोले - " जाओ मधुआ के पास सो जाओ!"
" आज पहली बार इतने प्यार से कोई छुआ!" फुलवा शरमा कर उठी और मधुआ के पास उसे चादर ओढ़ा कर सो गई। मास्टर बाबू भी लालटेन अपने पास रख झोले से एक किताब निकाल पढ़ने लगे।
अगली सुबह जब मधुआ जगा तो अपनी माई को अपने पास देख खुशी से फूले नहीं समाया। वो अपनी माई के गालों को चूम लिया। फुलवा नींद से जागी और मधुआ को देख बोली - " उठ गया हमरा बाबू?"
" माई हम दोनो खटोले पर? "
" हां तुम्हरे बापू सुलाए तुम्हे ईहा लाकर। देखो खुद ऊहा नीचे सो रहे!"
मधुआ उठा पर वो अपना पजामा गीला कर दिया था। फुलवा परेशान होकर बोली - " जल्दी से बदल लो वरना मास्टर बाबू देखे तो गुस्सा न हो जाए ऊ पढ़े लिखे है!"
" पढ़े लिखे लोग टुलेट नाही करते माई?"
" अंगरेजी बोला बाबू?"
" तब का.... सौतेले बाप को बोलते सुना , उसे टुलेट जाना था तो डाकिया चाचा बताए कि हल्का होने जाना है!"
" तुम भी मास्टर बाबू जैसे अब पढ़े लिखे हो गए!"
मधुआ खुश होकर खटोले से कूदा और अपने सौतेले बाप के ऊपर जाकर बंदर जैसे गीले पजामे में ही चिपक गया। फुलवा घबरा कर उठी और उसे हटने को कहने लगी। तभी मास्टर बाबू जगे और मधुआ को खुद से चिपके देख मुस्कुराते हुए उसे अपने बाहों में लेकर बोले - " गुड मॉर्निंग....मेरा बच्चा!"
" ई का गुलू मारी बोल रहे?"
" मतलब सुप्रभात...सुबह में प्रणाम करते है!"
" अच्छा? तब गुलू मारी सौतेले बापू!"
मास्टर बाबू मधुआ की अंग्रेजी सुन हंसने लगते है। फुलवा मधुआ से बोली " बाबू चलो कपड़े बदल दे तुम्हारे!"
मास्टर बाबू संकोच से फुलवा की ओर देख हकला कर बोले - " हमारे क्यू?"
फुलवा अपने मुंह पर हाथ रख लेती है।
" हम तो अपने बाबू को बोले...!" और बाहर की ओर भाग जाती है ।
कहानी जारी है..!!!
RISHITA
06-Aug-2023 10:14 AM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
17-Nov-2022 02:24 PM
शानदार
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Rafael Swann
14-Nov-2022 11:51 PM
Umda 👏🌸
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